सिमरिया में कुम्भ की
परंपरा
कुम्भ शब्द का अर्थ ही होता है, अमृत का घड़ा यानि ज्ञान का घड़ा और कुम्भ प्रथा का स्पष्ट अभिप्राय
है, ज्ञान के घड़ा का सदुपयोग। हमारा राष्ट्र भारत आदिकाल से ही संतो, ऋषियों, मुनियों के अनुवेष्नोपरान्त प्राप्त ज्ञानामृत पुंज को अध्यातमवाद कि
संज्ञा प्राप्त कि गयी, जिसके अनुसरण के फलस्वरूप सृष्टि काल से ही भारत राष्ट्र पूरे विश्व को
अज्ञानता रूपी अंधकार से ज्ञानरूपी प्रकाश कि ओर ला विश्व कल्याणर्थ तत्पर्ता दिखाता आया है , जिससे विश्व धर्मगुरु से भी यह राष्ट्र विभूषित हुआ है। कुम्भ प्रथा भी शायद इसी शृंखला कि एक कड़ी है। सर्व विदित है कि पूरे वर्ष मे 12 महीने होते हैं तथा ज्योतिष शास्त्र के
अनुसार 12 राशि भी है, इसी शास्त्र के अनुसार प्रत्येक वर्ष किसी न किसी राशि पर किसी न किसी माह
में वृहस्पति का योग होना तय है जो अति पवित्र कुम्भ योग माना जाता है और यह
प्रत्येक 12 वर्षो बाद दोहराता रहता है। इसी आधार पर द्वादश कुंभ स्थली आदिकाल में अवश्य था। ऐसे तो शास्त्रों मे यह भी बताया गया है कि देवासुर संग्राम के दौरान समुद्र मंथन
हुआ जिससे 14 रत्न एवं एक अमृत का घड़ा प्राप्त हुआ। अमृत पाने वाले अमर होते है, अतः अमृत का बटवारा स्वयं भगवान विष्णु के द्वारा देवताओ के बीच
हुआ। बांटने के बाद जो अमृत घड़ा मे बच गया उसे सुरक्षित रखने हेतु भगवान इन्द्र
के पास रखा गया, एक समय कर्दम ऋषि कि पत्नी विनीता जो गरुड़ जी की माता थी, अपनी सौतन कद्रा से बाजी हार शापित हुई, तो उन्हे शाप
से मुक्ति हेतु अमृत की आवशयकता पड़ी। श्री गरुर जी महाराज इन्द्र लोक जाकर वहाँ रखे अमृत के घड़ा को लेकर अपने
माँ को शाप से मुक्ति दिलाने हेतु चल परे, अमृत का घड़ा ले जाने मे उन्हे इन्द्र से
युद्ध करना पड़ा, क्योकि इन्द्र के पास तो देवताओ ने उस अमृत के घड़ा को सूरक्षित
रखने हेतु रखा था, इन्द्र से बार- बार युद्ध के दौरान जिन स्थलौ पर उस अमृत के घड़ा
को रखा गया वह सभी कुम्भ स्थल बन गया यानि 12 कुम्भ स्थल आदि काल में तो फिर आज
मात्र 4 ही स्थलो पर कुम्भ आयोजन क्यों? शास्त्रोक्त आधार पर द्वादश कुम्भ स्थलौ का
ब्योरा प्रातः स्मर्णीय परंपूज्य गुरुदेव करपात्री अग्निहोत्री परमहंस स्वामी चिदात्मनजी के शब्दो मे निम्न प्रकार
है:-
1. सिमरिया :
यह बिहार राज्य के मिथिलांचल अंतर्गत बेगूसराय जिला में पड़ता है, यहाँ परमपुनीत
कार्तिक मास में तुला की संक्रांति में वृहस्पति के योग से पूर्ण कुम्भ की प्रथा
थी।
2. हरिद्वार :
यह वर्तमान उतरांचल राज्य में पड़ता है, यहाँ वैशाख मास में कुम्भ राशि के गुरु और
मेष के सूर्य में कुम्भ परंपरा विधमान है।
3. नासिक :
यह महाराष्ट्र राज्य में अवस्थित है, यहाँ भादव मास में सिंह के गुरु और सिंह के
सूर्य में कुम्भ परंपरा विधमान है।
4. प्रयाग :
यह उत्तरप्रदेश राज्य के अंतर्गत इलाहाबाद क्षेत्र में पड़ता है, यहाँ माघ मास
में मेष के गुरु और मकर के सूर्य में कुम्भ परंपरा विध्यमान है।
5. उज्जैन :
यह मध्य प्रदेश के अंतर्गत है, यहाँ भी वैशाख मास में सिंह राशि के गुरु एवं मेष
के सूर्य में कुम्भ परंपरा विध्यमान है।
6. तमिलनाडु :
कुम्भ कोणम तमिलनाडु में कावेरी नदी के तट पर कुम्भ परंपरा थी।
7.
जगन्नाथपुरी : यह उड़ीसा राज्य में है यहाँ आसाढ़ मास में कुम्भ परंपरा थी।
8. रामेश्वरम्
: यहाँ फाल्गुन मास में समुद्र तट पर कुम्भ परंपरा थी।
9. गंगा सागर
: पश्चिम बंगाल स्थित गंगा सागर तट पर पौष-माघ मास में कुम्भ परंपरा थी।
10. गुवाहाटी
: असम राज्य स्थित गुवाहाटी शक्तिपीठ ब्रह्मपुत्र किनारे चैत मास में कुम्भ परंपरा
थी।
11. द्वारका :
गोमती संगम तट पर श्रावण मास में कुम्भ परंपरा थी।
12. कुरुक्षेत्र : हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र स्थित ब्रह्म सरोवर किनारे
अग्रहण मास में कुम्भ परंपरा थी।
अर्ध कुम्भ आमंत्रण
मान्यवर,
हम उस
क्षण के दर्शन के लिए व्याकुल हैं जब आपके चरण रज इस गंगा तट के पावन पुनीत भूमि पर
पड़ेगें। प्रत्येक वर्ष यहाँ कार्तिक मास में कल्पवास के स्नान हेतु लाखो श्रद्धालु
संत का निवास एक महिना गंगा सेवन हेतु इसी समय में रहता है। संतो, विद्वत्जनों एवं धर्माचार्यो
द्वारा खोज के बाद यह पुण्य भूमि को कुम्भ स्थली माना गया है। भारत के लगभग
प्रत्येक पंचांग में इस वर्ष यहाँ कुम्भ का योग दर्शाया गया है। अतः इस महतम अर्ध
कुम्भ पर हम मिथिलावासी आपके स्वागत में पलक—पांवरे बिछाये हैं। आपकी
उपस्थिति, कुम्भ स्नान एवं अमृतमयी
प्रवचनों से यह भूमि तीर्थराज बन जाएगी, ऐसा
हमारा विश्वास है। आप अपने आने—जाने , ठहरने
एवं व्यवस्था संबंधी कोई भी जानकारी हमारे पते पर या दूरभाष पर कर सकते हैं। हम
आपकी सेवा में सतत लगे रहेंगे। यह हमारा संकल्प है।
निवेदक :
गंगा
नन्द जी : 07549470270
उषा
जी : 09431425790
अमरेन्द्र जी (लल्लू बाबू): 9431092797
नीरज
कुमार : 9431211789
रवीद्र ब्रह्मचारी जी: 09431693176
डॉ0
नलिनी रंजन सिंह: 9431029145
डॉ0
ए० के० राय : 09431211085
राजीव
कुमार: 09204651871
डॉ0
भोला सिंह : 09431800657
रजनीश
कुमार: 09431211545
अभय
कुमार सार्जन : 09430209037
दिलीप
कुमार सिन्हा: 09431282840
महंत
शंकर दास: 09431211645
मुरारी कुमार ‘मनु’: 09162915737
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Wednesday, 19 October 2011
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